शृंगार और अध्यात्म
भारतीय साहित्य परंपरा में शृंगार और अध्यात्म एक-दूसरे के विरोधी न समझे जाकर परस्पर पूरक ही माने गए है और उनका पोषण, भाई-बहनों की तरह, एक ही साथ, एक ही रस तत्व द्वारा होता आया है। लोक दृष्टि से ये दोनों मूल्य भले ही विभक्त कर दिए गए हों—पर रहस्य, और कुछ