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पुष्टिमार्ग पर दोहे

पुल के बहाने कही गई

कविताओं का एक सुंदर चयन।

सोई भाजन प्रेमरस, प्रकट कृष्ण के गात्र।

पय पुंडरिकनी को जो, रहि बिन कंचन पात्र॥

वही प्रेम-रस का पात्र है जो श्रीकृष्ण के गात्र से उत्पन्न हो (अर्थात पुष्टिमार्गी हो)। सिंहनी का दूध कंचन के पात्र के अतिरिक्त अन्य पात्र में नहीं रह सकता।

दयाराम

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