नीति पर अड़िल्ल

नीति-विषयक दोहों और

अन्य काव्यरूपों का एक विशिष्ट चयन।

दुनिया बिच हैरान जात नर घावई।

चीन्हत नाहीं नाम भरम मन लावई॥

सब दोषन लिये संग सो करम सतावई।

कह गुलाल अवधूत दग़ा सब खावई॥

संत गुलाल

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