नेता पर बेला
भारतीय राजनीति और लोकतंत्र
की दशा-दिशा से संवाद को हिंदी कविता ने किसी कर्तव्य की तरह अपने ऊपर हावी रखा है और इस क्रम में इसके प्रतिनिधि के रूप में नेता या राजनेता से प्रश्नरत बनी रही है। प्रस्तुत चयन में ऐसी ही कविताओं का है।
आपातकाल से अघोषित आपातकाल के बीच
गए दिनों ज्ञान प्रकाश की किताब ‘आपातकाल आख्यान’ आई। राजकमल प्रकाशन से आई इस किताब में, उन्होंने 1975 में लगी इमरजेंसी की चर्चा की है। ज्ञान प्रकाश अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर हैं। य
22 जुलाई 2024
राग गांधी मल्हार वाया तीस जनवरी मार्ग
वह मुख—अरे, वह मुख, वे गांधी जी!! — मुक्तिबोध दुर्घटनाग्रस्त सड़कों, जननायक-रिहाई-केंद्रित धरना-प्रदर्शनों के बीच (कु)भाषणों और पाँच वर्षों में एक बार आने वाले लोकतंत्र के महापर्व की उत्सवधर्मि