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लोक पर पद

लोक का कोशगत अर्थ—जगत

या संसार है और इसी अभिप्राय में लोक-परलोक की अवधारणाएँ विकसित हुई हैं। समाज और साहित्य के प्रसंग में सामान्यतः लोक और लोक-जीवन का प्रयोग साधारण लोगों और उनके आचार-विचार, रहन-सहन, मत और आस्था आदि के निरूपण के लिए किया जाता है। प्रस्तुत चयन में लोक विषयक कविताओं का एक विशेष और व्यापक संकलन किया गया है।

पद-82

अष्टभुजा शुक्‍ल

पद-64

अष्टभुजा शुक्‍ल

पद-9

अष्टभुजा शुक्‍ल

पद-37

अष्टभुजा शुक्‍ल

पद-28

अष्टभुजा शुक्‍ल