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पृथ्वी पर ब्लॉग

पृथ्वी, दुनिया, जगत।

हमारे रहने की जगह। यह भी कह सकते हैं कि यह है हमारे अस्तित्व का गोल चबूतरा! प्रस्तुत चयन में पृथ्वी को कविता-प्रसंग में उतारती अभिव्यक्तियों का संकलन किया गया है।

यह भूमि माता है, मैं पृथिवी का पुत्र हूँ

यह भूमि माता है, मैं पृथिवी का पुत्र हूँ

हिंदी के साहित्य-सेवियों को पृथिवी-पुत्र बनना चाहिए। वे सच्चे हृदय से यह कह और अनुभव कर सकें— माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः (अथर्ववेद) यह भूमि माता है, मैं पृथिवी का पुत्र हूँ। लेखकों में यह ज

वासुदेवशरण अग्रवाल

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