सारे दिन हवाएँ साँय-साँय करती रही। बारिश खिड़कियों से टकराती रही थी, जिससे इस विशाल लंदन में भी जो इंसानों ने बनाया है, हम अपनी दिनचर्या भूलकर प्रकृति की लीला के विषय में सोचने पर मजबूर हो गए थे। जो मा
उपासना
‘रेशमा हमारी क़ौम को गाती हैं, किसी एक मुल्क को नहीं’
थळी से बहावलपुर, बहावलपुर से सिंध और फिर वापिस वहाँ से अपने देस तक घोड़े, ऊँट आदि का व्यापार करना जिन जिप्सी परिवारों का कामकाज था; उन्हीं में से एक परिवार में रेशमा का जन्म हुआ। ये जिप्सी परिवार क़बील
राजेंद्र देथा
कुछ नए-पुराने पूर्वग्रह
कुछ नए-पुराने पूर्वग्रह जो जाने-अनजाने हमारी भाषा में चले आते हैं :
• 'मैंने जिसकी पूँछ उठाई, उसे मादा पाया है'—धूमिल ने आज अगर यह कविता-पंक्ति लिखी होती तो सोशल मीडिया पर उचित ही उनकी धज्जियाँ उड़
प्रियदर्शन
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