सवैया
वर्णिक छंद। चार चरण। प्रत्येक चरण में बाईस से लेकर छब्बीस तक वर्ण होते हैं।
'सखी संप्रदाय' के उपासक। सांप्रदायिक नाम 'प्रेमसखी'। कोमल और ललित पद-विन्यास, संयत अनुप्रास और स्निग्ध सरल भाषिक प्रवाह के लिए स्मरणीय कवि।
भारतेंदु युग के सुपरिचित लेखक। इनका स्मरण हिंदी साहित्य के प्रथम उत्थान का स्मरण है।
भक्तिकालीन कवि और गद्यकार। हिंदी की पहली आत्मकथा 'अर्द्धकथानक' के लिए स्मरणीय।
रीतिबद्ध कवि। नायिकाभेद के अंतर्गत प्रेमक्रीड़ा की सुंदर कल्पनाओं के लिए प्रसिद्ध।
संत यारी के शिष्य और गुलाल साहब और संत जगजीवन के गुरु। सुरत शब्द अभ्यासी सरल चित्त संतकवि।
रीतिकालीन अल्पज्ञात कवि। संयोग शृंगार के कामुक प्रसंगों की उद्भावनाओं के लिए स्मरणीय।