नयो नेह, नयो मेह
nayo neh, nayo meh
नयो नेह, नयो मेह, नई भूमि हरियारी,
नवल दूलह प्यारो, नवल दुल्हैया।
नवल चातक, मोर, कोकिला करत रोर,
नवल जुगल और, नवल उल्हैया
नवल कसूंभी सारी पहिरैं ओढ़िनी के
अंग संग प्यारी सरस सुल्हैया।
‘नंददास बलिहारी छबि पै वारी
नवल पाग बनी नवल कुल्हैया॥
- पुस्तक : अष्टछाप कवि : नंददास (पृष्ठ 105)
- संपादक : सरला चौधरी
- रचनाकार : नंददास
- प्रकाशन : प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
- संस्करण : 2006
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