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साधौ भाई राम नाम चित धारो

sadhau bhai ram nam chit dharo

सैन भगत

सैन भगत

साधौ भाई राम नाम चित धारो

सैन भगत

और अधिकसैन भगत

    साधौ भाई राम नाम चित धारो।

    चंचल चित कबजे नहीं रेहवे, मदवयो मन मतवारो।

    मन-चित दोई कबजे होवे, तन कई करे बिचारो॥

    सुन्दर स्याम अद्भुत छब राजे, रूप रंग को कारो।

    घट के भीतर रास रचावे, कान्हों मुरली वारो॥

    राम रमैयो क्रसन कन्हैयो, अनंत नाम निरधारो।

    नाग नथैयो नाथ रह्यो हे, मदक्यो मन पटबारो॥

    आँख मूँद ने एक रस होओ, एसो मतो हमारो।

    किरपा कर सद्गुरु परबोध्यो, मिटि गयो तमसो भारो॥

    सैन भगत साँसाँ की सरणी, एकई नाम उचारो।

    साधौ भाई राम नाम चित्त धारो॥

    हे साधु भाई! चित्त में राम का नाम धारण कर लो। यह चंचल चित्त वश में नहीं रहता है। यह मद में चूर होकर मतवाला हो रहा है। यदि मन और चित्त दोनों वश में हों, तो बेचारा तन क्या कर सकता है? वह तो स्वत: ही वश में हो जाएगा। सुंदर श्याम की अद्भुत छवि है। उसका रूप रंग श्याम होकर भी मोहक है। वह मुरलीधर कन्हैया घट के भीतर रास रचा रहा है। उस राम रमैये और कृष्ण कन्हैया के अनंत नाम निर्धारित हैं। वह नाग नथैया मेरे मन रूपी विषैले नाग को स्वयं वश में करने का प्रयत्न करने में संलग्न है। हे साधु भाई! मेरा ऐसा विचार है कि आँख मूँदकर एक रस होकर उस प्रभु के नाम जाप में लीन हो जाओ। सद्गुरू जी ने यही ज्ञान दिया है। इसी से हमारे भीतर का कलुष, अज्ञान और अंधकार मिट जाएगा। सैन भगत कहते हैं—साँसों की माला में एक ही नाम का उच्चारण करने में संलग्न हो जाओ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : संत सैन भगत (पृष्ठ 301)
    • संपादक : अशोेक मिश्र
    • रचनाकार : संत सैन भगत
    • प्रकाशन : आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, मध्यप्रदेश
    • संस्करण : 2013

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