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क्या सोवे, उठ जाग बाउरे

kya sowe, uth jag baure

आनंदघन

आनंदघन

क्या सोवे, उठ जाग बाउरे

आनंदघन

और अधिकआनंदघन

    क्या सोवे, उठ जाग बाउरे।

    अंजलि जल ज्यूँ आयु घटत है, देत पहोरिया घरिय घाउ रे॥

    इंद्र चंद्र नागेंद्र मुनींद्र चले, कुण राजा-पतसाह-राउ रे।

    भमत भमत भव-जलधि पाय के, भगवत भजन बिन भाउ न्याउ रे॥

    कहा बिलंब करे अब बाउरे, तरि भव-जलनिधि पाठ पाउ रे।

    आनँदघन चेतनमय मूरति, सुद्ध निरंजन देव ध्याउ रे॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : कल्याण पत्रिका (संतबानी अंक) (पृष्ठ 201)
    • संपादक : हनुमान प्रसाद पोद्दार
    • रचनाकार : आनँदघन
    • प्रकाशन : गीता प्रेस गोरखपुर
    • संस्करण : जनवरी 1955
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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