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नारी सब रचना की खाँणी

nari sab rachna ki khanni

संत लाधूनाथ

संत लाधूनाथ

नारी सब रचना की खाँणी

संत लाधूनाथ

और अधिकसंत लाधूनाथ

    नारी सब रचना की खाँणी।

    देवी-देवता नारी में उपजा नारी में पवना पाँणी॥

    ब्रह्मा विष्णु नारी राखी सदा नार के सँगा।

    आदि शक्ति शिव की नारी रच्या लिंग अरू भंगा॥

    राम कृष्ण संग नारी रमती नाथ मछंदर भोगी।

    गोरखनाथ एकला रहता आदि अखंडी जोगी॥

    ध्रुव प्रहलाद रिषेसर मुनि नारी के पेट से जाया।

    बरन अकाश चंद्रमा सूरज नारी के भग से आया॥

    तीनूँ लोक इक्किसूँ ब्रह्मंड भग में सकल पसारा।

    हरनारायण शेष महेशा कोई नहीं निकले बारा॥

    इस नारी को त्यागी होसी वो पाखण्डी पूरा।

    रूप-रूप घट-घट में नारी किसविध होसी दूरा॥

    लाधूनाथ की तीजाँ नारी कबहूँ ना अँग से त्यागी।

    अखे मंडल में हँसा पूगा जोगेश्वर बड़ भागी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : लाधूनाथ वाणी प्रकाश (पृष्ठ 513)
    • रचनाकार : संत लाधूनाथ
    • प्रकाशन : महन्त श्री गणेश नाथ जी
    • संस्करण : 2001
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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