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उद्धरण

उद्धरण श्रेष्ठता का संक्षिप्तिकरण हैं। अपने मूल-प्रभाव में वे किसी रचना के सार-तत्त्व सरीखे हैं। आसान भाषा में कहें तो किसी किताब, रचना, वक्तव्य, लेख, शोध आदि के वे वाक्यांश जो तथ्य या स्मरणीय कथ्य के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं, उद्धरण होते हैं। भाषा के इतिहास में उद्धरण प्रेरणा और साहस प्रदान करने का काम करते आए हैं। वे किसी रचना की देह में चमकती आँखों की तरह हैं, जिन्हें सूक्त-वाक्य या सूक्ति भी कहा जाता है। संप्रेषण और अभिव्यक्ति के नए माध्यमों में इधर बीच उद्धरणों की भरमार है, तथा उनकी प्रासंगिकता और उनका महत्त्व स्थापना और बहस के केंद्र में है।

1923 -2014

दक्षिण अफ़्रीका की समादृत लेखिका और प्रखर राजनीतिक कार्यकर्ता। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।

अजमेर के राजा विग्रहराज चतुर्थ के राजकवि। वीरगीत के रूप में सबसे पहली कृति 'बीसलदेव रासो' के रचयिता।

1898 -1977

‘असमिया भाषा की महादेवी’ के रूप में समादृत कवयित्री-लेखिका। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

1948 -2000

हिंदी के अत्यंत उल्लेखनीय कवि-कथाकार। ’नींद से लंबी रात’, ‘जब ख़ुद नहीं था’ और ‘हर घर से ग़ायब' शीर्षक से तीन कविता-संग्रह प्रकाशित।

1911 -1998

आधुनिक हिंदी कविता के प्रमुख कवि और कथाकार। अपने जनवादी विचारों के लिए प्रसिद्ध। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

1926 -2019

अत्यंत समादृत भारतीय लेखक। हिंदी आलोचना के शीर्षस्थ आलोचक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

1821 -1878

सुपरिचित रूसी कवि, लेखक, समालोचक और प्रकाशक। कृषक समाज पर भावप्रधान कविताओं के लिए उल्लेखनीय।

1809 -1852

सुप्रसिद्ध नाटककार, उपन्यासकार, कथाकार और कवि। रूसी यथार्थवाद और आधुनिक रूसी साहित्य के जनक के रूप में समादृत।

1883 -1957

ग्रीक लेखक, कवि, पत्रकार, राजनीतिज्ञ, और दार्शनिक।

1929 -2005

समादृत उपन्यासकार-कथाकार और निबंधकार। भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित।

1928

चर्चित अमेरिकी प्राध्यापक। भाषा विज्ञान, विश्लेषणात्मक दर्शन, संज्ञानात्मक विज्ञान और राजनीतिक आलोचना के क्षेत्र में व्यापक योगदान।