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कवियों की सूची

सैकड़ों कवियों की चयनित कविताएँ

आलम

1583 -1603

रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रेमोन्मत्त कवि। कविता में हृदय पक्ष की प्रधानता। परिमार्जित भाषा और अनूठी उत्प्रेक्षाओं के लिए विख्यात।

रीतिकालीन नीति काव्यधारा के महत्वपूर्ण कवि। सरल भाषा में लोकव्यवहार संबंधी कुंडलियों के लिए स्मरणीय।

भक्तिकालीन कवि और गद्यकार। हिंदी की पहली आत्मकथा 'अर्द्धकथानक' के लिए स्मरणीय।

'टट्टी संप्रदाय' से संबद्ध। कविता में वैराग्य और प्रेम दोनों को एक साथ साधने के लिए स्मरणीय।

जयपुर नरेश सवाई प्रतापसिंह ने 'ब्रजनिधि' उपनाम से काव्य-संसार में ख्याति प्राप्त की. काव्य में ब्रजभाषा, राजस्थानी और फ़ारसी का प्रयोग।

जैन कवि, उपदेशक एवं प्रवचनकार।

बुंदेलखंड के प्रतापी नरेश। प्रसिद्ध कवि भूषण के संरक्षक।

'चरनदासी संप्रदाय' से संबंधित संत चरणदास की शिष्या। कविता में सर्वस्व समर्पण और वैराग्य को महत्त्व देने के लिए स्मरणीय।

अकबर के नवरत्नों में से एक। भक्ति और नीति-कवि। सरस हृदय की रमणीयता और अन्योक्तियों में वाग्वैदग्ध्य के लिए प्रसिद्ध।

भक्ति-काव्य की कृष्णभक्त शाखा के माधुर्योपासक कवि। 'राधावल्लभ संप्रदाय' के प्रवर्तक।

भक्तिकाल और रीतिकाल के संधि कवि। काव्यांग निरूपण, उक्ति-वैचित्र्य और अलंकारप्रियता के लिए स्मरणीय। काव्य- संसार में ‘कठिन काव्य के प्रेत’ के रूप में प्रसिद्ध।

अकबर के दरबारी कवि। भक्ति और नीति संबंधी कविताओं के लिए स्मरणीय।

भक्तिकाल। रामभक्त कवि। अग्रदास के शिष्य। 'भक्तमाल' ग्रंथ कीर्ति का आधार ग्रंथ।

भक्त, कथावाचक और मानस-व्याख्याकार के रूप में प्रसिद्ध रीतिकालीन कवि। 'कवित्त रामायण' के रचनाकार।

रीतिकाल के सरस-सहृदय आचार्य कवि। कविता की विषयवस्तु भक्ति और रीति। रीतिग्रंथ परंपरा में काव्य-दोषों के वर्णन के लिए समादृत नाम।

भरतपुर नरेश सुजानसिंह के आश्रित कवि। काव्य में वर्णन-विस्तार और शब्दनाद के लिए स्मरणीय।

रामभक्ति शाखा के महत्त्वपूर्ण कवि। कीर्ति का आधार-ग्रंथ ‘रामचरितमानस’। उत्तर भारत के मानस को सर्वाधिक प्रभावित करने वाले भक्त कवि।

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