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श्रीभट्ट

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वृंदाविपिन विलासी राधा और कृष्ण के उपासक निंबार्क संप्रदाय के महत्त्वपूर्ण कवि।

वृंदाविपिन विलासी राधा और कृष्ण के उपासक निंबार्क संप्रदाय के महत्त्वपूर्ण कवि।

श्रीभट्ट के दोहे

तनिक धीरज धरि सकै, सुनि धुनि होत अधीन।

बंसी बंसीलाल की, बंधन कों मन-मीन॥

जनम-जनम जिनके सदा, हम चक्कर निसि-भोर।

त्रिभुवन-पोषन सुधाकर, ठाकुर जुगल-किशोर॥

मोहन दन ब्रजभूमि सब, मोहन सहज समाज।

मोहन जमुना कुंज तहँ, बिहरत श्रीब्रजराज॥

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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