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वज्रयानी सिद्ध। हिंदी के प्रथम कवि। सरह, सरहपाद, शरहस्तपाद, सरोजवज्र जैसे नामों से भी चर्चित।

वज्रयानी सिद्ध। हिंदी के प्रथम कवि। सरह, सरहपाद, शरहस्तपाद, सरोजवज्र जैसे नामों से भी चर्चित।

सरहपा के दोहे

पाणि चलणि रअ गइ, जीव दरे सग्गु।

वेण्णवि पन्था कहिअ मइ, जहिं जाणसि तहिं लग्गु॥

हाथ, पैर, शरीर ये सब धूल में समा जाते हैं। ये ही जीव की स्थिति है। स्वर्ग नहीं है। सरह कहते हैं—मैंने (स्वर्ग तथा नर्क) दोनों मार्ग बता दिए हैं, जो अच्छा लगे, उस पर चल।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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