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Nipat Niranjan's Photo'

निपट निरंजन

1623 - 1698 | चंदेरी, मध्य प्रदेश

नाथ परंपरा के कवि। चर्पटनाथ के शिष्य। असार संसार में लिप्त जीवों की त्रासदी के सजीव वर्णन के लिए स्मरणीय।

नाथ परंपरा के कवि। चर्पटनाथ के शिष्य। असार संसार में लिप्त जीवों की त्रासदी के सजीव वर्णन के लिए स्मरणीय।

निपट निरंजन का परिचय

हरिदास निरंजनी के अनंतर निरंजनी सप्रदाय के प्रसिद्ध साधकों और कुशल कवियों में निपटनिरंजन स्वामी का नाम आता है। 'सरोज' रचयिता शिवसिंह के मत से ये गोस्वामी तुलसीदास के समकालीन थे। इनका जन्म संवत् 1650 वि. है। सेंगर जी के अनुसार ये महान् सिद्ध और 'शांत सरसी' तथा 'निरंजन संग्रह' नामक ग्रंथों के रचयिता थे। डा. रामकुमार वर्मा के मत से इनका जन्म सं. 1566 वि. है। कहा जाता है, ये गौड़ ब्राह्मण और दौलताबाद के निवासी थे। ये अधिकतर काशी में रहते थे और निर्भीक, स्पष्टवादी तथा अक्खड़ थे। इनकी काव्यशक्ति और काव्यविषय से परिचय कराने के लिये संबंधित पृष्ठ पर कुछ पद संकलित हैं।

इन पदों से यह स्पष्ट है कि निपट निरंजन न केवल उच्च कोटि के विचारक थे वरन् वे अच्छे कवि भी थे। भाषा पर उनका अच्छा अधिकार था। भाषा, काव्य और अभिव्यक्ति का रूप उनके व्यक्तित्व के अनुकूल ही बड़ा सरल और सुंदर था।

संभवतः इनका पूरा नाम निपटनिरंजन था। इनके छन्दों में यही छाप है। इनका जन्म बुन्देलखंड के चंदेरी नगर में हुआ था और औरंगज़ेब के समकालीन होने के कारण इनका समय 17 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में माना जा सकता है। ये बचपन में साधुओं के साथ दक्षिण चले गए और औरंगाबाद के समीप एकनाथजी के मंदिर में रहने लगे। कहते हैं कि औरंगज़ेब इनसे प्रभावित था।

इनकी तीन रचनाओं का पता है, 'कवित्त निपटजी के', 'शांत रस वेदांत' और एक ग्रंथ का नाम विदित नहीं है। शिवसिंह ने 'निरंजन संग्रह' और 'शांत सरसी' ग्रंथ इनके बताए हैं। संभवतः ये उपयुक्त ग्रंथों के ही नाम हैं। ये शान्त-रस के कवि हैं।

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