कन्हैयालाल सहल का आलोचनात्मक लेखन
सरदार पूर्णसिंह और उनकी विचार धारा
फ्रांस के एक प्रसिद्ध आलोचक का कथन है कि यदि किसी कलाकार की कृतियों के रहस्य को हृदयंगम करना हो तो उसके जीवन की सभी घटनाओं का भली-भाँति अध्ययन करना चाहिए। सरदार पूर्णसिंह ने चार पाँच निबंध लिखकर ही हिंदी के निबंध-साहित्य में जो शीर्ष स्थान प्राप्त किया
कामायनी के सर्गों को अनुक्रम
छायावादी युग प्रधानत: प्रगीत रचनाओं का युग था। प्रसाद को छोड़कर अन्य किसी छायावादी कवि ने प्रबंध काव्य की रचना नहीं की और प्रसाद ने जिस ‘कामायनी’ महाकाव्य की सृष्टि की, वह केवल कवि का कीर्ति-स्तंभ ही नहीं, भारतीय संस्कृति की अमर निधि भी है। काव्य के