जवाहरलाल नेहरू के निबंध
युगों का दौर
गुप्त शासन में राष्ट्रीयता और साम्राज्यवाद मौर्य साम्राज्य का अवसान हुआ और उसकी जगह शुंग वंश ने ले ली जिसका शासन अपेक्षाकृत बहुत छोटे क्षेत्र पर था। दक्षिण में बड़े राज्य उभर रहे थे और उत्तर में काबुल से पंजाब तक बाख्त्री या भारतीय-यूनानी फैल गए थे।
सिंधु घाटी सभ्यता
भारत के अतीत की सबसे पहली तस्वीर उस सिंधु घाटी सभ्यता में मिलती है, जिसके अवशेष सिंध में मोहनजोदड़ो और पश्चिमी पंजाब में हड़प्पा में मिले हैं। इन खुदाइयों ने प्राचीन इतिहास की समझ में क्रांति ला दी है। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा एक दूसरे से काफ़ी दूरी
तनाव
भारत में तनाव सन् 1942 के शुरू के महीनों में बढ़ा। युद्ध का मंच लगातार निकट आता जा रहा था और भारत के शहरों पर हवाई हमलों की संभावना पैदा हो गई थी। जिन पूर्वी देशों में युद्ध ज़ोरों पर था, वहाँ क्या होगा? भारत और इंग्लैंड के संबंधों में क्या नया अंतर आएगा? चुनौती—'भारत
दो पृष्ठभूमियाँ—भारतीय और अँग्रेज़ी
भारत में अगस्त सन् 1942 में जो कुछ हुआ, वह आकस्मिक नहीं था। वह पहले से जो बहुत कुछ होता आ रहा था उसकी चरम परिणति थी। इसके बारे में आक्षेप, आलोचना और सफ़ाई के रूप में बहुत कुछ लिखा जा चुका है और बहुत सफ़ाई दी जा चुकी है। फिर भी इस लेखन में से असली बात
अंतिम दौर—एक
भारत राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से पहली बार एक अन्य देश का पुछल्ला बनता है भारत में अँग्रेज़ी राज्य की स्थापना उसके लिए एकदम नई घटना थी जिसकी तुलना किसी और राजनीतिक अथवा आर्थिक परिवर्तन से नहीं की जा सकती थी। भारत पहले भी जीता जा चुका था, लेकिन ऐसे आक्रमणकारियों
अंतिम दौर—दो
राष्ट्रीयता बनाम साम्राज्यवाद मध्य वर्ग की बेबसी—गांधी का आगमन पहला विश्व युद्ध आरंभ हुआ। राजनीति उतार पर थी। इसका कारण था कांग्रेस का तथाकथित गरम दल और नरम दल में विभाजन और युद्ध-काल में लागू किए गए नियम और प्रतिबंध। अंततः विश्व युद्ध समाप्त
तलाश
भारत के अतीत की झाँकी बीते हुए सालों में मेरे मन में भारत ही भारत रहा है। इस बीच मैं बराबर उसे समझने और उसके प्रति अपनी प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करने की कोशिश करता रहा हूँ। मैंने बचपन की ओर लौटकर याद करने की कोशिश की कि मैं तब कैसा महसूस करता था, मेरे
नई समस्याएँ
अरब और मंगोल जब हर्ष उत्तर-भारत में एक शक्तिशाली साम्राज्य के शासक थे और विद्वान चीनी यात्री हुआन त्सांग नालंदा में अध्ययन कर रहे थे, उसी समय अरब में इस्लाम अपना रूप ग्रहण कर रहा था। भारत के मध्य भाग तक पहुँचने में इसे लगभग 600 वर्ष लग गए और जब उसने