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गणेशपुरी पद्मेश

रीतिकालीन अलक्षित कवि।

रीतिकालीन अलक्षित कवि।

गणेशपुरी पद्मेश के दोहे

कुंडल जिय-रक्षा करन, कवच करन जय वार।

करन दान आहव करन, करन-करन बलिहार॥

जी की रक्षा करने वाले कुंडल और जय करने वाले कवच, इनका दान करने वाले और युद्ध करने वाले कर्ण के हाथों की बलिहारी है।

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