चंद्रेश्वर का परिचय
1 जुलाई,1996 से एम.एल.के.पी.जी. कॉलेज, बलरामपुर में हिंदी विषय में शिक्षण कार्य आरंभ किया। 30 जून, 2022 को विभागाध्यक्ष एवं प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्ति के बाद लखनऊ में रहकर स्वतंत्र रूप से लेखन कार्य।
हिंदी की लगभग सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं-'पाखी','वागर्थ','आलोचना','मंतव्य','परिकथा','परिन्दे','पतहर','कृतिओर','लोक विमर्श' 'रेवांत','भारत वार्ता','लहक','संडे नवजीवन','नवभारत टाइम्स', 'प्रभात ख़बर', 'हिंदुस्तान','जन संदेश टाइम्स','देशप्राण','नवोदित प्रवाह ' आदि में सन् 1982-83 से कविताओं एवं आलोचनात्मक आलेखों का लगातार प्रकाशन। भोजपुरी में 'चटक-मटक', 'गाँवघर','समकालीन भोजपुरी साहित्य','भोजपुरी साहित्य सरिता','पाती', 'भोजपुरी जंक्शन','सँझवाती', 'भोजपुरी संगम', 'पुरबइया बयार' में कविता, संस्मरण एवं आलोचनात्मक आलेखों का प्रकाशन। अब तक सात पुस्तकें प्रकाशित। हिंदी में तीन कविता संग्रह-'अब भी'(2010),'सामने से मेरे' (2017),'डुमराँव नज़र आएगा' (2021)।
एक शोधालोचना की पुस्तक 'भारत में जन नाट्य आंदोलन'(1994) एवं एक साक्षात्कार की पुस्तिका 'इप्टा-आंदोलनःकुछ साक्षात्कार' (1998) का भी प्रकाशन।
भोजपुरी में कथेतर गद्य की दो पुस्तकें-'हमार गाँव' (2020) व 'आपन आरा' (2023) और एक हिंदी में 'मेराबलरामपुर' (2021) प्रकाशित।