आलू की सड़क
एक भालू था। नानी के घर दूर जाना था। रास्ते में खाने के लिए भालू ने बोरा-भर आलू पीठ पर रख लिए।
पर बोरे में छेद था।
भालू आगे बढ़ता जाता—धप्प, धप्प, धप्प।
बोरे से आलू टपकते जाते—टप्प, टप्प, टप्प।
रास्ते में पीपल के पेड़ पर एक बंदर बैठा था।
उसने