भारतेंदु हरिश्चंद्र के यात्रा वृत्तांत
सरयूपार की यात्रा
अयोध्या कल साँझ को चिराग़ जले रेल पर सवार हुए, यह गए वह गए। राह में स्टेशनों पर बड़ी भीड़ न जाने क्यों? और मज़ा यह कि पानी कहीं नहीं मिलता था। यह कंपनी मजीद के ख़ानदान की मालूम होती है कि ईमानदारों को पानी तक नहीं देती। या सिप्रस का टापू सर्कार के हाथ
हरिद्वार
श्रीमान क.व.सु. संपादक महोदयेषु, श्री हरिद्वार को रुड़की के मार्ग से जाना होता है। रुड़की शहर अँग्रेज़ों का बसाया हुआ है। इसमें दो-तीन वस्तु देखने योग्य हैं, एक तो (कारीगरी) शिल्प विद्या का बड़ा कारख़ाना है जिसमें जलचक्की पवनचक्की और भी कई बड़े-बड़े