अनीता वर्मा का परिचय
नवें दशक में उभरीं अनीता वर्मा का जन्म 25 जून, 1959 को दरभंगा, बिहार में हुआ। देवघर और पटना में आरंभिक शिक्षा के बाद भागलपुर विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अपना शोध-कार्य प्रेमचंद के उपन्यासों में महाजनी सभ्यता पर किया है। शिक्षा पूरी करने के बाद अध्यापन के पेशे से जुड़ी हैं और समानांतर रचनात्मक यात्रा जारी है।
अपने पहले कविता-संग्रह ‘एक जन्म में सब’ (2003) से चर्चा में आईं अनीता वर्मा को कविता के ऐसे नए स्त्री-स्वर के रूप में चिह्नित किया गया जिसके पास एक विरल संवेदना है और अपने आंतरिक संसार के स्पंदनों को सही शब्दों और सार्थक बिंबों में रूपांतरित कर पाने की क्षमता है। 2008 में प्रकाशित उनके दूसरे कविता-संग्रह ‘रौशनी के रास्ते पर’ में कवि के रचनात्मक अंतर्संघर्ष के साथ-साथ कविताओं के कथ्य और शिल्प में आए परिवर्तनों की पहचान की गई है जहाँ वह बिंबों से वृत्तांत की ओर, स्मृति से स्वप्न की ओर, अंतरंग से बहिरंग की ओर और अनुभूति से अनुभव की ओर जाने और कभी-कभी एक-दूसरे में आवाजाही करने की एक अनोखी यात्रा दर्ज करती हैं। कविता में भाषिक सादगी और विषय-चयन के लिए उनकी प्रशंसा होती है।
उनकी कविताओं के अनुवाद विभिन्न भारतीय भाषाओं के साथ अँग्रेज़ी, डच और जर्मन में हुए हैं। डच और जर्मन भाषा में प्रकाशित साझा संग्रहों में उनकी कविताएँ शामिल की गई हैं। साहित्य अकादेमी की पत्रिका ‘इंडियन लिटरेचर’ में उनकी कुछ कविताओं के अँग्रेज़ी अनुवाद प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने चीन की कुछ आधुनिक महिला कवियों के हिंदी अनुवाद किए हैं।
वह चित्रकला, संगीत और दर्शन में विशेष रुचि रखती हैं। ‘एक जन्म में सब’ संग्रह के लिए बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान से पुरस्कृत की गई हैं।