जयपुर से पत्र
jaipur se patr
नोट
प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा छठी के पाठ्यक्रम में शामिल है।
अन्तर्देशीय पत्र कार्ड
पता...
...जयपुर
तारीख़...
पूज्य पिता जी,
सादर प्रणाम! परसों रात को हम सकुशल जयपुर पहुँच गए। हमारी यात्रा बहुत अच्छी रही। अध्यापकों ने हमारा बहुत ध्यान रखा। यहाँ मौसम अच्छा है।
कल सुबह जलपान करके हम सब लोग जयपुर की सैर के लिए निकले। सबसे पहले हमने हवामहल देखा। हवामहल के पास ही जंतर-मंतर है। इस वेधशाला का निर्माण राजा जयसिंह ने किया था। हमने घूम-घूमकर जंतर-मंतर देखा। इसके बाद हम रामनिवास बाग़ गए। यहाँ एक अच्छा कला-संग्रहालय है यह दर्शनीय है। संग्रहालय में जयपुर के राजा महाराजाओं। के कपड़े, अस्त्र-शस्त्र और उनके चित्र रखे हुए हैं।
जयपुर से लगभग चौदह किलोमीटर की दूरी पर आमेर का क़िला है। यह बहुत पुराना और बड़ा क़िला है। आमेर में शीशमहल देखने योग्य है। शीशमहल के पास ही देवी का मंदिर है। मंदिर में दर्शन करने के बाद हम शहर वापस आए। रात को हमने राजस्थान के लोकनृत्य देखें।
फिर राजस्थान का विशेष व्यंजन दाल-बाटीचूरमा खाया। आज दुपहर बाद हम झीलों के शहर उदयपुर जाएँगे। अगला पत्र उदयपुर से लिखूँगा।
माता जी को मेरा प्रणाम और लता बहन को बहुत प्यार।
आपका पुत्र
अमर
- पुस्तक : दुर्वा भाग 1 (पृष्ठ 121)
- प्रकाशन : एनसीईआरटी
- संस्करण : 2022
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