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मौसम का उत्सव

mausam ka utsav

अनुवाद : केदार कानन

केदार कानन

केदार कानन

मौसम का उत्सव

केदार कानन

और अधिककेदार कानन

    मौसम का यह बदलाव

    मुझे चकित करता है

    बसंत के नव आगमन की मुद्रा

    पतझड़ का आक्रोश

    मौसम का यह भरा-पूरा क़दम

    आमूलचूल परिवर्तन की आकांक्षा रखे यह मौसम।

    किसी ख़ास दिशा में

    किसी स्पष्ट उद्देश्य के साथ

    किसी सार्थक यात्रा में बढ़ता मौसम

    मुझे सचमुच उत्सवित करता है

    ऊर्जस्वित करता है

    मौसम का यह बदलाव

    इसका यह तेवर, यह ताव।

    यह तो मौसम है

    जो नए ढंग से अब उतर रहा है

    मेरे-तुम्हारे बीच

    हर जगह फैल रहा है

    यही मौसम इतिहास को करेगा नंगा

    वर्तमान की

    अनैतिक नक़ाबी मुद्रा को अस्तव्यस्त

    और हर जगह फैला देगा

    क्रांति के उत्स।

    मुझे आश्वस्त करते हैं ये मौसम

    इस मौसम के बिगड़े तेवर और ताव

    सारी शक्ति को अपने भीतर

    आत्मसात किए

    अब नहीं रुकेगा कहीं भी

    संभव नहीं है इसका ठहराव

    यही मौसम करेगा परिवर्तन

    झूठे जनतंत्र को करेगा नंगा

    करेगा रूढिभंजन

    करेगा यही मौसम

    अपनी सारी ऊर्जा के साथ

    जन-उत्सव।

    स्रोत :
    • पुस्तक : मैथिली कविताएँ (पृष्ठ 54)
    • संपादक : ज्ञानरंजन, कमलाप्रसाद
    • रचनाकार : केदार कानन
    • प्रकाशन : पहल प्रकाशन

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