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अवांछित लोग

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कुमार अम्बुज

कुमार अम्बुज

अवांछित लोग

कुमार अम्बुज

और अधिककुमार अम्बुज

    सदी के इस उतार में लक्ष्य पर है संवेदना

    लुभावने विज्ञापन हैं और सूक्ष्म प्रविधियाँ

    पहले विज्ञान को बदला और अब बदला जा रहा है कला को

    संवेदना नष्ट करने के माध्यम में

    कि मनुष्य को बदला जा सके औज़ार में

    कई बार यह काम इतनी बारीकी से होता है

    कि सिर्फ़ नक़्क़ाशी करने की आवाज़ सुनाई देती है

    और दुनिया के कोलाहल में कई बार वह भी नहीं

    फिर पत्नी कहती है इतना सिद्धांतवादी होना ठीक नहीं

    बच्चे कहते हैं, पापा, ऐसा करने में कोई हर्ज़ नहीं, सभी करते हैं

    पड़ोसी कहते हैं, आपका व्यवहार आम आदमियों जैसा नहीं

    टी.वी., रेडियो, अख़बार कहते हैं

    चाहो तो बने रहो

    समाज में कुछ पुराने विचारों के लोग भी बने रहते हैं

    कथाओं के नायकों जैसे हैं जो कुछ लोग

    और जो चाँद को चाँद कीचड़ को कीचड़ कहते हैं

    वे सबसे पहले हैं लक्ष्य पर

    मुश्किल है उनका जीवन जो नहीं जानते कंप्यूटर की भाषा

    केंद्रीय कार्यसमिति की गोष्ठी का निष्कर्ष है—

    सबसे अवांछित हैं वे लोग

    जो बात-बात में हो जाते हैं भावुक!

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्रतिनिधि कविताएँ (पृष्ठ 47)
    • रचनाकार : राजकमल प्रकाशन
    • प्रकाशन : कुमार अम्बुज
    • संस्करण : 2014
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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