आपके भीतर से सच्ची आवाज़ें आती रहती हैं
aapke bhitar se sachchi awazen aati rahti hain
कुछ आवाज़ें
आपकी छाती में जमी रहती हैं
संभव है वे इतनी मरियल हों
कि संदेह होता हो उनके होने पर
और इतनी पस्त हालत
कि आप ख़ुद ही कह दें
कि वे हो ही नहीं सकतीं
फिर भी इन आवाज़ों को आप सुन रहे हैं
जब कभी, जहाँ कहीं
क्योंकि आप इन्हीं आवाज़ों को सुनना चाहते हैं लगातार
आप हैरान हो जाते हैं
एक दिन अचानक जब वे आपकी त्वचा पर
फोड़े-फुंसियों-सी फूट आती हैं
शर्म से आप उन्हें ढँकते हैं अपने इन हाथों से
पर ये आवाज़ें
यहाँ ढाँपो तो वहाँ निकल आती हैं
वहाँ ढाँपो तो कहीं और निकल आती हैं
जब कभी निकल आती हैं
हर कहीं निकल आती हैं
वहाँ भी निकल आती हैं
जहाँ आपके ये ताक़तवर शातिर हाथ नहीं पहुँच सकते
आप पाएँगे कि ये दबाई-छिपाई जा सकने वाली चीज़ नहीं
अलबत्ता आप चाहें तो इन आवाज़ों को
अपनी जेबों में भर सकते हैं
या एक पेंसिल पकड़ें
और उन्हे छोटी छोटी पर्चियों में लिख लें
बाँटें लोगों में
ये गुप्त ताबीज़
तहे दिल से मान लेते हुए
कि आप कमज़ोर थे
अपनी इन कमज़ोर आवाज़ों के साथ
अभी आप तैयार न थे
बाँटें ये बीजमंत्र इस सदिच्छा के साथ
कि कहीं न कहीं
कभी न कभी
बेहद ऊँची
बड़ी असरदार
और निहायत ही ज़िंदा होकर
पूरी आज़ादी से गूँज उठें
ये सच्ची आवाज़ें
बिना किसी डर और हिचक और हकलाहट के
किसी भी छाती में।
- रचनाकार : अजेय
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.