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स्मृति के शिलालेख

smriti ke shilalekh

प्रियंकर पालीवाल

प्रियंकर पालीवाल

स्मृति के शिलालेख

प्रियंकर पालीवाल

और अधिकप्रियंकर पालीवाल

    (स्व. मदन चाचा के लिए)

    रेत के इस महासमुद्र में

    कुछ द्वीप हैं—आस्था के ध्यान के

    इस बियाबान रेगिस्तान में

    बोधिवृक्ष हैं—सत्य के ज्ञान के

    यह सच है कि

    उनकी अमरता हेतु अंधकूपों में

    कालपात्र नहीं गड़े हैं

    पर उनकी कालजई स्मृतियों के शिलालेख

    मन की दराज़ों में जड़े हैं

    वे आदर्शों की महागाथा हैं

    उनकी हर पंक्ति को

    उद्धरण की तरह दोहराया जा सकता है

    वे लय के महाकाव्य हैं

    उनके जीवन-छंद को

    सामगान की तरह गाया जा सकता है

    उन्होंने स्वयं सूर्य के सारथी से

    नियमितता का मंत्र लिया है

    उन्हें वाणी और विनायक दोनों ने

    अपना आशीर्वाद दिया है

    उनका कहना है—

    आस्था के हाथ में मशाल होनी चाहिए

    और सत्य के हाथ में होनी चाहिए तलवार

    जहाँ सक्रिय हैं—असत्य अनाचार और वंचना

    ठीक वहीं पर होना चाहिए वार

    वे अब नहीं है परंतु वह विश्वास

    जो उन्होंने मन की क्यारी में बोया है, उगेगा

    दीप जो उन्होंने जगाया है, ज्योति-छंद बुनेगा

    और वह बात जो उन्होंने समझाई है—

    ज़माना बहुत गौर से सुनेगा

    बहुत सावधानी से गुनेगा

    समय अवसाद का नहीं

    आत्मनिरीक्षण का है

    व्यक्तित्व के परीक्षण का है

    बोए गए बीजों के अंकुरण का है

    समय किसी अन्य उपलब्धि का नहीं

    प्राप्त आदर्शों के पुनर्वितरण का है

    यह भ्रम है कि वे अब

    गुमनामी के अँधेरों में खो जाएँगे

    अभी वे ज्योतिपुंज थे ज्ञानदीप थे

    अब वे ध्रुवतारा हो जाएँगे

    हर दिशाभ्रमित नाविक को

    रास्ता दिखाएँगे

    हर डगमगाते क़दम को

    फिसलने से बचाएँगे

    साथियो!

    जो थे वे भी नहीं रहे

    जो हैं वे भी नहीं रहेंगे

    पर हम सब मिलकर

    एक बात ज़रूर कहेंगे

    कि यही वो कर्मभूमि है

    जहाँ वे उम्र की एक-एक सीढ़ी चढ़ते हुए

    आदर्श के अनूठे प्रतिमान गढ़ते रहे

    हम सब आगे और आगे बढ़ते रहे

    किन्तु वे अँधियारों से अनवरत

    एक छापामार लड़ाई लड़ते रहे।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दृष्टि-छाया प्रदेश का कवि (पृष्ठ 22)
    • रचनाकार : प्रियंकर पालीवाल
    • प्रकाशन : प्रतिश्रुति प्रकाशन
    • संस्करण : 2015

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