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जा चुके लोग

ja chuke log

उत्कर्ष

उत्कर्ष

जा चुके लोग

उत्कर्ष

और अधिकउत्कर्ष

    यहाँ सन्नाटा है—पसरा हुआ—

    छूटने की गंध में डूबा।

    अँधेरे में टटोलने पर मिलता है चश्मा।

    चीज़ें और भी…

    जैसे—

    अधूरा स्वाद, बेरंग जिल्द वाली किताबें और धूल।

    जाने वाले जैसा बता गए

    वैसी नहीं पाई गई सूखे महुए की महक।

    नहीं थी चारपाई।

    ही आई ड्योढ़ी पर जाने पर कजरी।

    नाही किसी के आने पर सोहर।

    गीत गाने वाली महिलाएँ चुपचाप चली गईं।

    इतनी चुप कि किसी ने उनके जाने की आहट भी सुनी।

    जैसे दीवार के पीछे नहीं सुनी जाती कोई आवाज़।

    औरत शब्द के संज्ञा होने की मौजूदगी या फिर,

    ना ही इस शब्द के विशेषण बना दिए जाने की साज़िशें।

    अब चँवर डोला रही आजी नहीं हैं।

    नहीं है उनके गीतों के मद्धिम स्वर के चलायमान पहिए।

    आँखों से बोझिल हो चुका है कहानी का पाठ।

    भगजोगनी और एक कहानी का प्लाट।

    मलबे में दबे आदमी का जीवाश्म भी नहीं है।

    ना ही हैं खंभे—नक़्क़ाशीदार

    जिन पर कारीगरी में महीने लगे।

    बहुत तेज़ चल रही है गर्म हवा।

    कंठ सूख रहा है।

    फिर भी चले जा रहे हैं आदमी।

    उस टोली में स्त्रियाँ भी हैं।

    लेकिन उनके गले रुँधे हुए हैं।

    सख़्त है आदमियों की पगड़ी।

    ला

    हर दूसरी वर्णमाला पर भारी है।

    एक जगह थी।

    जहाँ लोग बीमार पड़ें

    और ‘स्वस्थ’ होने पर नहीं रहा उन्हें याद

    कि बरसात से पहले आम मीठा स्वतः नहीं होता

    बल्कि रसायनों में पकाया लोभ होता है।

    से से होते हुए तक की यात्रा है

    जिसके बीच नहीं पड़ती कोई भी बावली, नदी या कुआँ

    जा चुके लोग

    चुके हुए लोग होते हैं

    जिनकी स्मृति का महत्व

    आधुनिकता के मलबे में दबा दिया जाता है

    जैसे बदल दिए गए नाम

    कितने ही।

    फलस्वरूप

    नहीं जान पाता कोई

    अकाल में भी

    पास के छिपे जलाशय का भी पता।

    जैसे यह भी स्मृति-भंग का है उदाहरण।

    अगर घर में कुछ नहीं तो

    चावल और जल से बन सकता है भात

    चाउर, शक्कर और दूध से भूख के लिए थोड़ी खीर।

    भूल जाना

    चली गई स्मृतियों के दोष में नहीं

    बल्कि फ़र्क़ पड़ने के माथे मढ़ा रहता है

    पूरी दुपहर और अर्द्धरात्रि की बेचैन करवटों में समाहित।

    स्रोत :
    • रचनाकार : उत्कर्ष
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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