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डी. एच. लॉरेंस

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डी. एच. लॉरेंस

और अधिकडी. एच. लॉरेंस

       
    जैसे-जैसे जीते हैं हम
    हम जीवन के संवाहक हैं
    और जब हम संवहन करने में नहीं रहते सफल
    जीवन भी हम से नहीं गुज़रता।
     
    यही यौन के रहस्य का एक पक्ष है।
    वह आगे बहता रहता है
    यौनहीन लोग कुछ भी संप्रेषण नहीं करते।
     
    और अगर जैसे हम काम में हों
    हम काम में ही जीवन प्रेषित कर सकते हैं
    जीवन, थोड़ा और जीवन हममें पूरा होता रहता है तैयार
    और हम जीवन के साथ-साथ ही बहते रहते हैं दिनों से गुज़रते
    यहाँ तक कि अगर कोई और सेब का मुरब्बा बना रही है
    और आदमी मेज़
    अगर प्राण ऊर्जा खीर में जाती है तो खीर बेहतरीन है
    बेहतरीन है मेज़
    ख़ुश है औरत और ताज़ा जीवन लहरें मार रहा है उसमें
    संतुष्ट है आदमी
     
    दो तो वह तुम्हें ही दिया जाएगा
    जीवन का यही है सच
    पर देना—इतना आसान नहीं है जीवन।
    यह अर्थ नहीं कि किसी अपात्र को दे दो या ऐसे को
    दो जो जीवित ही मृत है और तुम्हें खा ले
    इसका अर्थ है प्राणवत्ता को ख़ाक कर देना
    जहाँ वह है ही नहीं
    बेशक यह अगर धुले जेबी रुमाल की सफ़ेदी में ही क्यों न हो। 
    स्रोत :
    • पुस्तक : डी. एच. लॉरेंस की कविताएँ (पृष्ठ 33)
    • रचनाकार : डी. एच. लॉरेंस
    • प्रकाशन : समकालीन प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1980
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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