Font by Mehr Nastaliq Web

जाड़े की साँझ

jaDe ki saanjh

अलेक्सांद्र पूश्किन

अलेक्सांद्र पूश्किन

जाड़े की साँझ

अलेक्सांद्र पूश्किन

और अधिकअलेक्सांद्र पूश्किन

    ले बर्फ़ीले वात-बवंडर, बीहड़ बादल, विज्जु-वितान,

    काले-काले आसमान में चढ़ता आता है तूफ़ान,

    लगता कभी कि गर्जन करता कोई जंगल का हैवान

    और कभी ऐसा लगता है रोता कोई शिशु नादान।

    कभी इधर से, कभी उधर से झटका-झोंका आता है,

    टूटी-फूटी छत का छानी-छप्पर हिल-हिल जाता है,

    जैसे कोई पथ का बिलमा पथी जब घर आता है,

    आतुरता के साथ झपटकर दरवाज़ा खड़काता है।

    खड़ा झोपड़ा होगा मेरा दर-दर से ढीला-ढाला,

    दीप उसमें जलता होगा, फैसा होगा अँधियाला,

    मेरी बुढ़िया दाई खिड़की के समीप बैठी होगी,

    वृद्धापन के आलस के बस, या हो संभवतः रोगी,

    भूल गई होगी वह बीते दिवसो की बातें सारी,

    गूँगी बनकर बैठी होगी सुन घन का गर्जन भारी।

    या वह बैठी कात रही होगी चर्खा घन-घनन-घनन,

    झुक-झुक पड़ती होगी उसकी पलकों पर निद्रा क्षण-क्षण।

    आओ आज पिएँ मधु जी भर बिना हुए मन में भयभीत,

    नौजवान के दुख-दर्दों की एक अकेली मदिरा मीत

    प्याला भर दो, आज वेदना माँग रही फिर मधु का दान,

    एक बार फिर से अधरों के ऊपकर छाएगी मुसकान

    आओ गाएँ गीत कि जिसमें एक अनोखा राजकुमार

    सदा लगाए रहता अपनी आँखें रत्नाकर के पार,

    या आओ, मिलकर यह गाएँ वह गीत, सुरा के प्याले ढाल,

    जिसमें एक छबीली जाती जल भरने को प्रात: काल।

    ले बर्फ़ीले वात-बवंडर, बीहड़ बादल, विज्जु वितान,

    काले-काले आसमान में चढ़ता आता है तूफ़ान,

    लगता कभी कि गर्जन करता कोई जंगल का हैवान,

    और कभी ऐसा लगता है रोता कोई शिशु नादान।

    आओ आज पिएँ मधु जी भर बिना हुए मन में भयभीत,

    नौजवान के दुख-दर्दों की एक अकेली मदिरा मीत

    प्याला भर दो, आज वेदना माँग रही फिर मधु का दान,

    एक बार फिर से अधरों के ऊपकर छाएगी मुसकान।

    स्रोत :
    • पुस्तक : चौंसठ रूसी कविताएँ (पृष्ठ 52)
    • रचनाकार : अलेक्सांद्र पूश्किन
    • प्रकाशन : राजपाल एंड संस
    • संस्करण : 1964
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए