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मेरी कल्पना और वास्तविकता के ईश्वर अलग-अलग हैं

meri kalpana aur vastavikta ke iishvar alag alag hain

कुंजकिरण

कुंजकिरण

मेरी कल्पना और वास्तविकता के ईश्वर अलग-अलग हैं

कुंजकिरण

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    मैं अपनी कल्पना

    और अपनी वास्तविकता के मध्य

    एक ढेले के ऊपर बैठा हूँ

    एक छोटे लकड़ी के टुकड़े से

    मिट्टी पर अपने अस्तित्व का चित्र बनाता हूँ

    और धीरे से कल्पना की दिशा में

    थोड़ा-सा खिसक जाता हूँ

    मुझे याद नहीं रहा

    मेरा चेहरा कैसा दिखता था

    मेरी आँखों की पुतली का रंग क्या था

    मेरी चमड़ी कैसी दिखती थी

    क्या मैं कविताएँ लिखता था

    इस अंतिम प्रश्न से एकाएक

    सब कुछ धुंधलाने लगता है

    मैं घबरा जाता हूँ

    मेरा गला सूखने लगता है

    मैं वापस ढेले के ऊपर

    उसी जगह जाता हूँ

    चित्र अब भी अपूर्ण है!

    मैं आँखें बंद कर लेता हूँ

    और एक चमत्कार घटता है

    अचानक आसमान नीला

    और साफ़ दिखने लगाता है

    मेरी पुतलियों का रंग भूरा दिखने लगता है

    मेरी चमड़ी में झुर्रियाँ दिखने लगती हैं

    पत्तों के रेशे

    ख़ून की धमनियों-से दिखने लगते हैं

    मैं ओस की बूँदों को

    मकड़ी के जालों में गिनने लगता हूँ

    मैं अब देख पा रहा हूँ

    चींटियों को एक क़तार में जाते हुए

    अब सब कुछ स्पष्ट है

    कुएँ के पास की काई

    जैसे अभी-अभी जन्मी है

    धीरे-धीरे यह युवा होगी

    मेरी चमड़ी की तरह…

    चित्र अब पूरा है

    मेरी कल्पना और वास्तविकता के ईश्वर अलग-अलग हैं!

    स्रोत :
    • रचनाकार : कुंजकिरण
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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