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प्रेम की स्मृति में

prem ki smriti mein

हिमांक

हिमांक

प्रेम की स्मृति में

हिमांक

और अधिकहिमांक

    मैं हमारे प्रेम की स्मृति में

    एक बीज बोना चाहता हूँ

    चाहता हूँ, उसे अपनी बालकनी

    के एक गमले में अंकुरित करना

    उसे निरंतर पानी देते रहना,

    उस दिन के इंतज़ार में

    जब उससे एक कोंपल निकलेगी,

    वो कोंपल धरा पर, हमारे प्रेमरूपी वृक्ष

    की पहली नींव रखेगी!

    कुछ समय बाद

    जब उस कोंपल से पखुँड़िया निकलेगी

    तो तुम ये समझना, हमारा प्रेम

    एक नई बनावट और रंग रुप के संग

    और गहरा होता जा रहा है

    समय की डोरियों के संग,

    वो कोंपल जब एक पौधे का रूप लेगी

    तो तुम ये समझना हमारे प्रेम का

    एक इतिहास लिखा जाएगा

    जो उस पौधे की पत्तियों में दर्ज़ होगा

    उस पौधे से जब टहनियाँ निकलेगी

    तो तुम ये समझना

    वो टहनियाँ हमारे,

    एक-दूजे के थामें हुए हाथ हैं

    जो हमारे अटूट प्रेम की

    निशानी में उस पौधे से

    उम्र भर के लिए जुड़े हुए हैं।

    एक वक्त बाद

    जब वो पौधा बड़ा हो जाएगा

    उसे हम अपने बग़ीचे में बो देंगे

    देखना हमारी बढ़ती उम्र के साथ

    जब वो पेड़ बन जाएगा ना

    तो बुढ़ापे में,

    वहीं हमारी स्मृतियों का सहारा बनेगा

    अपनी टहनियाँ फैलाए

    हमारे आँगन में!

    स्रोत :
    • रचनाकार : हिमांक
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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