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कला की देवी से

kala ki devi se

अलेक्सांद्र ब्लोक

अलेक्सांद्र ब्लोक

कला की देवी से

अलेक्सांद्र ब्लोक

और अधिकअलेक्सांद्र ब्लोक

    हैं विनाश के संदेशों से,

    पूरित तेरी तानें गोपन,

    है अपावनीकरण सुखों का,

    गुह्यादेशों का उल्लंघन।

    बार-बार मैं कह सकता हूँ

    तेरा है अदम्य आकर्षण,

    तेरे रूपजाल में फँसकर

    भ्रष्ट हो गए पूज्य देवगण।

    जब खिल्लियाँ उड़ाती है तू

    आस्था की, तब कुछ धुँधला-सा

    तेरे सिर पर जग उठता

    बैंगनी प्रभा-सा, वृत्त उजाला।

    शुभ या अशुभ? अजनबी तू है

    जग के लिए पहेली दुष्कर,

    कुछ को सरस्वती है तू पर

    मुझको है यातना भयंकर।

    क्या जानूँ, क्यों उस विहान में

    जब निष्प्राण हुआ मेरा तन,

    मैं मर नहीं सका, क्यों मैंने

    पाया तेरी छवि में जीवन।

    मैंने चाहा बैर, किंतु क्यों

    तूने दिए मुझे उपहार :

    पुष्पित उपवन, तारांकित नभ

    अपनी छवि के शब्द अपार?

    तेरे आलिंगन थे ध्रुवी

    निशाओं से भी अधिक भयंकर

    बंजारों की रीति सरीखे

    क्षणिक, सुरा से भी मादकतर!

    जग के पावन नियम तोड़ने

    में था मुझे मिला सुख घातक,

    जिसने मुझको नाग विजय-सा

    परमानंद दिया था मादक।

    स्रोत :
    • पुस्तक : आधुनिक रूसी कविताएँ-1 (पृष्ठ 41)
    • संपादक : नामवर सिंह
    • रचनाकार : अलेक्सांद्र ब्लोक
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1978
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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