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प्रेम के आस-पास

prem ke aas pas

अमर दलपुरा

अमर दलपुरा

प्रेम के आस-पास

अमर दलपुरा

प्रेम एकनिष्ठ होता है

पीड़ाएँ बहुवचन।

हल्का-सा स्पर्श

छूने की परिभाषा को बदल जाता है।

प्रेम की भाषा नहीं होती

इज़हार के शब्द नहीं होते हैं।

प्रेम इस तरह होता है

जैसे वाक्य को उल्टा पढ़ा जाता है।

दुख की रेखाएँ

होंठों पर उगकर

हाथ ही हाथ में हरी हो जाती हैं।

चूमने की इच्छा

होंठों से रिसकर

आत्मा में बहती रहती है।

नींद में आँखें सोती हैं,

हदय रंगीन सपनों की

चौकीदारी करता है।

बात इस तरह करते हैं

जैसे वे कविता लिखते हैं।

आवाज़ों का हुनर

अर्थ को पता है।

मौन की पीड़ा

शब्द जानते हैं।

तुम बोलते क्यों नहीं हो?

तुम सुनती क्यों नहीं हो?

याद जाती क्यों नहीं है?

प्रेमी उसी तरह मरते हैं

जैसे सवाल—

उत्तरों की उम्मीद में

रोज़ मरते हैं!

स्रोत :
  • रचनाकार : अमर दलपुरा
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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