क्या रखता है अर्थ तुम्हारे लिए नाम मेरा?
kya rakhta hai arth tumhare liye naam mera?
अलेक्सांद्र पूश्किन
Alexander Pushkin

क्या रखता है अर्थ तुम्हारे लिए नाम मेरा?
kya rakhta hai arth tumhare liye naam mera?
Alexander Pushkin
अलेक्सांद्र पूश्किन
और अधिकअलेक्सांद्र पूश्किन
क्या रखता है अर्थ तुम्हारे लिए नाम मेरा?
डूबा हुआ उदासी में लहरों का विह्वल स्वर
कहीं दूर के तट पर जैसे जाता हहर, बिखर,
सूने वन में रात्रि समय ध्वनि खो जाती जैसे
मेरा नाम तुम्हारी स्मृति में मिटे कभी वैसे
लिखे गए हों स्मृति के पट पर जैसे कुछ अक्षर
उस भाषा में जिसे समझना, पढ़ना हो दुष्कर,
उसी तरह से मुड़े-मुड़ाए, जर्जर काग़ज़ पर
चिह्न नाम छोड़ेगा मेरा धुँधला-सा नश्वर।
क्या रखा है उसमें? जिसको विस्मृति ने निगला
नई भावना, नए प्यार का जब हो कुसुम खिला,
ला न सकेगा तेरे मन में वह स्मृतियाँ प्यारी
जल न सकेगी उससे कोमल, पावन चिंगारी।
किंतु उदासी और व्यथा जब मन को आ घेरे
नाम याद कर लेना मेरा तुम धीरे-धीरे,
कहना ख़ुद से—याद किसी को मैं अब भी आती
किसी हृदय में मैं बसती, स्मृति मेरी धधकाती।
- पुस्तक : अलेक्सान्द्र पूश्किन चुनी हुई रचनाएँ (खंड-1) (पृष्ठ 31)
- रचनाकार : अलेक्सान्द्र पूश्किन
- प्रकाशन : प्रगति प्रकाशन, मास्को
- संस्करण : 1982
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