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मुहल्ले के आवारा लड़के

muhalle ke avara laDke

राजीव कुमार तिवारी

राजीव कुमार तिवारी

मुहल्ले के आवारा लड़के

राजीव कुमार तिवारी

और अधिकराजीव कुमार तिवारी

    मुहल्ले में उनकी गिनती

    प्रायः फ़ालतू और आवारा लड़कों में होती है

    पढ़ाई-लिखाई में जिनका जी

    थोड़ा कम लगता है

    खेल-कूद और दुनियादारी में

    ज़्यादा रमे रहते हैं

    वे लड़के किसी खास मौक़े पर

    चाहे कोई पर्व हो कोई उत्सव हो

    कोई सामूहिक आयोजन हो

    बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं

    उन्हीं के होने से

    गहमा-गहमी और गर्मजोशी रहता है

    माहौल में

    आगे पीछे मुहल्ले के

    गंभीर और गुणी लोग भी

    इस बात को स्वीकार करते हैं

    वे रतजगा कर

    हर आने-जाने वाले के लिए

    सड़क पर हैप्पी न्यू ईयर

    लिखते हैं या लिखवाते हैं

    इकत्तीस दिसंबर की रात को हर साल

    कोई पर्व हो धार्मिक अनुष्ठान हो

    घूम-घूम कर

    चँदा इकट्ठा करते हैं

    हर छोटी-बड़ी व्यवस्था में शामिल रहते हैं

    स्थापना से लेकर विसर्जन तक के वाहक रहते हैं

    हर भगवान से

    एक-सी उनकी निभती है

    क्या दुर्गा माँ क्या कालि माँ

    क्या छठी माई क्या सूर्य देव

    क्या सरस्वती माँ

    क्या गणपति बप्पा

    क्या भोले भंडारी

    एक से उत्साह और ऊर्जा से

    जुटे रहते हैं वे सब के लिए

    किसी के घर

    कोई सामूहिक उत्सव या आयोजन हो

    पूछे जाने पर

    जी-जान से लग जाते हैं ये लड़के

    खाने-पीने की सुध भी कहाँ रहती है फिर उन्हें

    मुहल्ले के आस-पास

    कोई दुर्घटना हो जाए

    किसी को तत्काल मदद की

    कोई आवश्यकता आन पड़े

    किसी के लिए रक्तदान करना हो

    सबसे पहले

    मदद की ख़ातिर

    हाथ बढ़ाते हैं ये लड़के ही

    बीतते समय के साथ

    ऐसे लड़के विलुप्तप्राय होते जा रहे हैं

    हमारे समय में जितने थे

    उतने अब नहीं हैं

    जितने अब हैं

    उतने आने वाले वक्त में

    नहीं रह जाएँगे

    क्या यह भी एक संकेत नहीं है

    जिसके माध्यम से

    हम समझ सकें

    कि दुनियाँ में अच्छाई सिमटती जा रही है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : राजीव कुमार तिवारी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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