मिनट पंछियों के झुंड की तरह उड़ गये
minat panchhiyon ke jhunD ki tarah uD gaye
दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे
dilip Purushottam chitre
मिनट पंछियों के झुंड की तरह उड़ गये
minat panchhiyon ke jhunD ki tarah uD gaye
dilip Purushottam chitre
दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे
और अधिकदिलीप पुरुषोत्तम चित्रे
मिनट पंछियों के झुंड की तरह उड़ गये
जब शाम ने कुछ भी नहीं कहा
एक मेघ बेसुध रहा
और चाँदनी ने फड़फड़ाए पंख
शांति एक पोखर थी
जिसमें एक रक्त-रेखा जलती रही अनंत पथ बन
और निःशब्द मृदु तरंगों में आभासित रही
आकाशों की गूढ़ भाषा
जब शाम ने कुछ भी नहीं कहा
अँधेरे ने खोला अपना सीप
पर चाँद की बूँद गिरी उसमें जब
कथाओं का कोई मोती नहीं बना
चाँदनी और हमारी सांसों की धुंध में
अन्यता ने हमें गैर नहीं किया
अंग भूल गये अपने होने को पर
आकाश ने उन पर स्तूप रख दिया।
- पुस्तक : मैजिक मुहल्ला खंड एक (पृष्ठ 47)
- रचनाकार : दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे
- प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
- संस्करण : 2019
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