एक
मेरे देह-जल में
इस तरह उधियाता हुआ नहीं
नक्षत्रों की अलगनी पर
दूर ही टँगा रहता आकाश
तब कैसे कर पाता विश्वास
कि दहकता सूर्य
नदियों के आदिम आचरणों का संकलन है दरअसल
देखकर जिसे
झीलों का चेहरा चमक उठता है
और भोर तक फैली हुई रात की लटें
हवा में फहराने लगती हैं
भला कहाँ जान पाता
कि यह
जिसे हम नदी कहते हैं
हमारे पुरखों के फावड़े से फूटती किरणों की
तरल चादर है अविरल…
तुम्हारे बिना इस जीवन को कहाँ पहचान पाता मैं!
दो
अब यक़ीन नहीं होता
कि तुम्हीं हो वह लड़की
जिसकी आँख की पत्तियों से
मेरे बचपन की स्मृतियाँ चूती थीं
अब यह सोचना भी असंभव लगता है
कि तुम्हारी राह देखता हुआ मैं ही था वह आदमी
जिसकी उठी हुई बाँहों में खिलते थे
अलग-अलग ॠतुओं के फूल!
तीन
जीवन में यह पहली बार घटित होगा
जब वसंत
टहनियों से उड़कर मेरी देह में समाने के बजाय
मेरी नसों से फटकर समूचे वन में छा जाएगा।
चार
जैसे घरौंदा बनाते बच्चे
शाम को
सब कुछ छोड़-छाड़कर घर लौट जाते हैं
तुम भी लौट चुकी हो अपने संसार में
और मैं इस खर-पतवार में
कभी अधबने घर को देखता हूँ
कभी ख़ुद को
और कभी दूर जाते पदचिह्नों को
जो सूर्य के साथ डूब रहे हैं इस अंधकार में।
पाँच
मैं जहाँ भी जाता हूँ
समय की माँद में हिलता हुआ
स्मृतियों का एक गाछ मिलता है
जिसकी सरसराहट उसी में विलीन होती जाती है
घुमड़ती हुई एक दुविधा मिलती है
जिसे शाम कहकर निराकुल नहीं हुआ जा सकता
ऊँघता हुआ एक खैर-वन दिखता है
जिसे जीवन कहते हुए मन घबराता है
द्वितीया के चाँद की इस निरीह रौशनी के नीचे
जबकि समूचा परिदृश्य
किसी अदृश्य चलनी से झर रही धूल में
धीरे-धीरे डूब रहा होता है
एक स्थगित जीवन की ओट में मैं
घायल जानवर की तरह लेट जाता हूँ
छह
अब मैं कह सकता हूँ
कि जीवन में नहीं
सिर्फ़ गल्प में अग्नि के बाद होती है बरखा
जीवन में अग्नि के बाद उड़ती है राख
केवल राख
जिससे आँख बचाने की कोशिश करते हुए हम
ख़ुद से ही आँख चुराने का जतन करते रहते हैं…
- रचनाकार : कृष्णमोहन झा
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.