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मैं क्या हूँ : आदिवासी विमर्श

main kya hoon ha adivasi vimarsh

शिवानी कार्की

शिवानी कार्की

मैं क्या हूँ : आदिवासी विमर्श

शिवानी कार्की

और अधिकशिवानी कार्की

    मैं जंगल में रहता हूँ

    बाँस की टल्लियों से घर बनाकर

    खुले आकाश के छप्पर के नीचे

    बहती नदियों के बीच

    नहीं बेचता आपकी तरह हवा-पानी

    नहीं बनाता आपकी तरह धरती को घोंटकर मकान

    क्योंकि नहीं हूँ इतना व्यवसाई

    कि बेच सकूँ ईमान आपकी तरह

    उसके लिए जिस प्रकृति ने दिया है हमें ये सब

    लेकिन

    लेकिन इतना होने पर भी

    आपकी नज़रों में

    मैं हूँ केवल ‘एक आदिवासी’

    जिसे आप समझते रहे

    जंगली, बर्बर और असभ्य

    लेकिन मेरी नज़र में

    मेरी नज़र में तो

    मैं पुरुष हूँ प्रकृति का

    एक स्त्री हूँ संभावनाओं की

    और

    और एक बच्चा हूँ पृथ्वी का

    जो चाहता है सतत पोषण और विकास।

    स्रोत :
    • रचनाकार : शिवानी कार्की
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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