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मधुस्रोत-10

madhusrot 10

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

और अधिकआचार्य रामचंद्र शुक्ल

    अरुण दिगंचल से प्राची के;

    प्रभा फूटकर तम में फीके

    दमकाती द्रुमभाल उतरती,

    मीलित नयनों पर झुँझलाती;

    हरी-हरी गीली दूबों पर

    सरक सरक मुक्ता छहराती।

    बालक घर से निकल रहे हैं,

    अब भी उन पर उछल रहे हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : मधुस्रोत (पृष्ठ 5)
    • रचनाकार : आचार्य रामचंद्र शुक्ल
    • प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणसी
    • संस्करण : 1971

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