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काम

kaam

डी. एच. लॉरेंस

और अधिकडी. एच. लॉरेंस

       
    कोई अर्थ नहीं है काम में रत रहना
    जब तक वह डुबोता नहीं है
    ठीक ऐसे खेल की तरह
    जो अपने में एकमेक कर देता हो
     
    अगर वह नहीं निमग्न करता
    कोई आनंद नहीं अगर उसमें
    तो करो मत उसे।
     
    जब आदमी जाता है काम के निमित्त बाहर
    जीवित है वसंत पेड़ की तरह वह
    तब वह जीवित है
    न कि सिर्फ़ काम में है कामगार
     
    जब हिंदू जुलाहे बुनते हैं पतली रुई के लंबे-लंबे
    सूत
    अपने पतले काले हाथों और खुली-काली आँखों से
    ठिठकी रहती है उनकी आत्मा डूबी हुई
    ठीक पतले पेड़ों की तरह पत्तियाँ गिराते,  
    बुनते हैं चारों ओर जीवित पत्तियों का सफ़ेद जाल
    वे कण जिन्हें वे बुनते हैं
    उन्हीं से ख़ुद को ढँकते हैं श्वेत वस्त्रों में जैसे एक
    पेड़ ख़ुद को गुल्मों से आकृत करता है।
     
    जैसे कपड़ों से वैसे ही घरों, जलयानों, जूतों, ठेलों
    या प्यालों या रोटी के क़तरों से
    चीज़ों को ऐसे ही स्वीकारते हैं मनुष्य जैसे एक कीड़ा
    अपने खौल को, चिड़िया झुकाती है
    अपना वक्ष नीड़ से, उसे गोलाकृति देने के निमित्त
    जैसे शलजम अपनी जड़ें गोलाई में ढालता है, जैसे झाड़ फूल
    और बनाता है पीले फल।
     
    बस स्वीकारता है पर उत्पादन नहीं दिखाता
    और शहर भी रहे होंगे, जैसे एक बार थे
    खड़ी हो गई होंगी झोंपड़ियाँ
    लोगों के व्यस्त शरीरों के ज़रिए।
     
    और फिर भी यही होगा दुबारा
    ध्वस्त करेंगे आदमी यंत्रों को।
     
    आख़िरकार ख़ुद को ढँकने के लिए अपने ही ढंग के
    पात-वस्त्र
    सूत्र अपने जीवन से बुने
    और रहेगा अपनी घास झोंपड़ियों में, जैसे
    रहता है बिलाव अपने कुतरे बिल में।
    और पिएगा अपनी अँगुलियों से बने
    पाँच फूलों की शाख से
    वह निरस्त करेगा यंत्र
    जो हमारे पास है।
    स्रोत :
    • पुस्तक : डी. एच. लॉरेंस की कविताएँ (पृष्ठ 9)
    • रचनाकार : डी. एच. लॉरेंस
    • प्रकाशन : समकालीन प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1980
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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