भाँग की तलाश में
दक्षिण के किसी कोने से हिमालय के सुदूर गाँव में पहुँच गए हो
चालीस पैंतालीस की उम्र मज़बूत शरीर और लंबी जटाएँ
नीचे गेरूए रंग की धोती और ऊपर का शरीर नंगा
कितने भोले लगते हो जब कहते हो
अरे माता! बाबा को चाय पिला दे
सुबह से चाय नहीं पी यार!
यार माता अपने बच्चे के हिस्से के दूध से
तुम्हारे लिए चाय बनाती है
तुम्हारे चरणों में सिर रखकर
अपने परिवार के लिए आशीष माँगती है
तुम माता की सात साल की बेटी के सामने ही अपना लंगोट सुधारते हो
जबरन अपनी गोद में खींचते हो
वह घबराकर दादी की ओट में छुप जाती है
बड़े मज़े हैं तुम्हारे बाबा
कहते हो सुट्टा चाहिए मुझे तो बस
वरना इस संन्यास का क्या फ़ायदा
हँसते हो तुम
साथ हँसते हैं सुट्टेबाज़ भक्त
बाबा आपने संन्यास क्यों लिया?
एक लड़की थी पसंद बहुत
उससे शादी करना चाहता था
माँ बाप को मंज़ूर नहीं हुआ तो छोड़ दिया घर
बिना पसंद के क्या शादी करना?
घर की याद आती है कभी?
माँ बाप की चिंता नहीं होती?
जब संन्यास ले लिया तो इन बातों के बारे में क्या सोचना?
उस लड़की का क्या हुआ?
बेचारी वो तो बहुत रोई होगी?
जब माँ बाप को ही छोड़ दिया तो लड़की क्या
लड़की तो दूसरी भी मिल जाती पर मेरा दिल टूट गया दुनिया से
उस लड़की को भी अपने साथ संन्यास दिला देते बाबा
दोनों मिलकर सुट्टा लगाते
अरे तब तो हो जाता संन्यास
संन्यासी के लिए नारी साक्षात् नरक है
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा
सच बताओ बाबा अगर वह लड़की संन्यास ले लेती
तो पहुँच पाती दक्षिण के किसी कोने से हिमालय के इस गाँव तक
या रास्ते में ही दबोच ली जाती
बचा कर किसी तरह सुधार गृह में लाई जाती
वहाँ हर रात एक नई मौत मरती
किसी गाँव में पहुँचने पर ऐसा ही स्वागत करते क्या लोग?
लड़कियाँ संन्यासी बनना भी चाहें तो दुनिया उन्हें कहाँ संन्यासी रहने देती है?
अकेली लड़की को दुश्चरित्र मानने की प्रथा अभी बनी हुई है
बहुत ख़ुशक़िस्मत होती हैं वो लड़कियाँ जिनकी शादी में उनकी मर्ज़ी पूछी जाती है
तुम लड़कियों के बारे में बहुत कम जानते हो भगोड़े बाबा
लड़कियाँ भगोड़ी नहीं होतीं
लड़कियाँ घर बसाती हैं
लड़कियाँ गाय पालती हैं
तीखे पहाड़ों फिसलन भरे रास्तों से घास का भारी बोझा लाती हैं
तभी तुम कह पाते हो एक चाय पिला दे यार माता
मुझे उस दिन का इंतज़ार है जब माता तुम्हें चाय पिलाने के बजाए
चाय का फ्राइंगपैन तुम्हारे सिर पे दे मारे
ये कहकर तुम्हें घर से निकाल दे
साले सुट्टेबाज़ लुच्चे पछ मुख होगा तेरा
माता की यह ललकार सुन
तुम और तुम्हारे सुट्टेबाज़ भक्त दुबारा
कभी माताओं के आस-पास जाने की हिम्मत न करें
और ये जल्दी होने वाला है
सात साल की बच्ची ने अपनी दादी की गोद में
मुँह छुपाए रोते-रोते कुछ बताया है
तुम्हारी दाढ़ी में आग लगने ही वाली है।
- रचनाकार : रेखा चमोली
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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