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दरवाज़े

darwaze

मानव कौल

मानव कौल

दरवाज़े

मानव कौल

और अधिकमानव कौल

    सबके सामने नंगा होने का डर इतना बड़ा है

    कि मैं घर हो गया हूँ—

    दो खिड़की और एक छोटे-से दरवाज़े वाला

    जहाँ से मुझे भी घिसट कर निकलना पड़ता है।

    किसी के आने की गुंजाइश उतनी ही है

    जितनी मेरे किसी के पास जाने की।

    सबके अपने-अपने घर हैं

    अपने-अपने डर हैं

    इसलिए अपने-अपने दरवाज़े हैं

    स्रोत :
    • रचनाकार : मानव कौल
    • प्रकाशन : सदानीरा वेब पत्रिका

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