प्रेम-संगीत
prem sangit
रोचक तथ्य
प्रस्तुत हास्य-कविता पुस्तक ‘पानी-पाँडे’ (लेखक : ‘हास्यरसावतार’ पंडित कांतानाथ पांडेय 'चोंच', प्रकाशक : चौधरी एंड संस, बनारस, तृतीय संस्करण, अप्रैल 1958) से साभार है। ध्यान देने वाली बात है कि ‘प्रेम-संगीत’ शीर्षक इस रचना का प्रारूप अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित फ़िल्म ‘मुक्काबाज़’ (2018) के गीत 'मुश्किल है अपना मेल प्रिये' से हूबहू मिलता है। बताया जाता है कि यह गीत जिस कविता से प्रेरित है, वह पद्मश्री सम्मानित मंचीय कवि डॉ. सुनील जोगी ने लिखा है, लेकिन प्रतीत ऐसा होता है कि यह हास्य कवि 'चोंच' की रचना 'प्रेम-संगीत' कविता के प्रारूप को उपमाओं से बदलकर लिखी गई रचना है। हमें यह ज्ञात नहीं कि कवि सुनील जोगी द्वारा इस कविता की प्रेरणा में हास्य-कवि 'चोंच' को आभार दिया गया है या नहीं। दुःखद यह है कि इस प्रारूप और इस कविता के साथ कवि 'चोंच' का नाम ढूँढ़ने पर भी किसी वेबसाइट पर नहीं मिलता। जबकि यह कविता साठ साल से भी ज़्यादा पुरानी है। हमारा प्रयास है कि पाठकों और साहित्य-प्रेमियों तक सही जानकारी पहुँचे और मौलिक रचनाओं को उनके लेखकों के साथ पहचान मिले, बाक़ी सही-ग़लत तय करना पाठकों का विवेक है।
तुम सिनेमा-ऐक्ट्रेस हो सुंदर
मैं होटल का दरबान प्रिये!
तुम ‘ब्लाटिंग पेपर’-सी सुफ़ेद,
मैं ‘ब्लैक इंक’ हूँ ‘स्वान’ प्रिये!!
मैं ‘एबीसीनिया’-सा दुर्बल,
तुम ‘इटली’ हो बलवान प्रिये!
मत पकड़ो तुम चुटिया मेरी,
मैं पकड़ूँ दोनों कान प्रिये!!
दफ़्तर से वापस आने पर,
करना सुख का सामान प्रिये!
‘द्राक्षासव’ से बढ़ कर ‘टॉनिक’
है तेरी मृदु मुस्कान प्रिये!!
तुम अपने अधरों से छू दो,
ये अधर हमारे प्रान-प्रिये!
लालिमा-लीन हो जाएँगे,
क्या होगा खाकर पान प्रिये!!
कपड़ों-लत्तों-गहनों के मिस,
सर पर सवार हो आन प्रिये!
इस मेरे कोमल सर को क्या,
समझा है कठिन मचान प्रिये!!
भीगी बिल्ली बन जाता हूँ,
होतीं जब क्रुद्ध महान् प्रिये!
मैं चकित ‘चीन’-सा दीन बना,
तुम बनी विकट ‘जापान’ प्रिये!!
ये अक्षर हमारे हैं ‘अछूत’,
तुम ‘अम्बेडकर’ समान प्रिये!
जो चाहो तुम इनको कर दो,
सिख, मुस्लिम या क्रिस्तान प्रिये!!
तुम पा सकती हो दो हज़ार,
मैं कोरा कवि-सम्मान प्रिये!
तुम दोहावली ‘दुलारे’ की,
मैं हूँ ‘हरिऔध’ सुजान प्रिये!!
- पुस्तक : पानी-पाँडे (पृष्ठ 4)
- रचनाकार : कांतानाथ पांडेय 'चोंच'
- प्रकाशन : चौधरी एंड संस
- संस्करण : 1958
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