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गुमशुदगी से ठीक पहले

gumshudgi se theek pahle

गौरव भारती

गौरव भारती

गुमशुदगी से ठीक पहले

गौरव भारती

और अधिकगौरव भारती

    शहर मुझे दीमक-सा खाए जा रहा है

    मैं लगातार ख़ुद को बचाने की नाकाम कोशिश में जुटा हूँ

    गणित ने ज़िंदगी के तमाम समीकरण बिगाड़ दिए हैं

    आईना मुझे पहचानने से इंकार करने लगा है

    बग़ल वाले कमरे में बच्चा रोज़ रात भर रोता रहता है

    मुझे थोड़ा-सा अँधेरा चाहिए

    यहाँ फ़िज़ूल की रौशनी बहुत है

    मैं लुका-छिपी का खेल खेलना चाहता हूँ

    लेकिन यहाँ छुपने की जगह नहीं है

    बहत्तर सीढियाँ चढ़कर

    मैं पाँच मंज़िले मकान की छत पर जाता हूँ

    मगर चाँद धुँधला नज़र आता है

    मुझे अपनी आँखों पर शुबहा होने लगा है

    मैं लौटता हूँ

    अपनी स्मृतियों में

    और इस तरह ख़ुद में लौटता हूँ

    मैं याद करता हूँ तुम्हें

    और इस तरह ख़ुद को याद रखता हूँ

    स्रोत :
    • रचनाकार : गौरव भारती
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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