उसकी आँखे एक सघन जंगल हैं
घर से निकलते ही सूर्य की किरणें
पूछती हैं सबसे पहले,जिसका पता
उसकी आँखे समुद्र का गहरा नीला पानी है,
जिसमें तैरती असंख्य रंगीन मछलियाँ
गूथतीं है मोतियों की माला
उसकी आँखे कभी ना खाली होने वाली नदी
का मीठा पानी हैं,जिसकी कोरों पर आकर
ठहरे हर दुख ने बुझाई है अपनी प्यास...
उसकी आँखो के पास कई इंद्रधनुषी रंग हैं,
जो ठहर जाएँ जिस किसी भी दृश्य पर
वो दृश्य फिर देर तक रहता है हरा!
- रचनाकार : चित्रा सिंह
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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