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तेरे सपने में थोड़े हूँ

tere sapne mein thoDe hoon

तेजी ग्रोवर

तेजी ग्रोवर

तेरे सपने में थोड़े हूँ

तेजी ग्रोवर

रोचक तथ्य

इस कविता के लिए कवयित्री को भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार प्राप्त हुआ।

तेरे सपने में थोड़े हूँ पगली

मैं तो बैठा हूँ

टाट पर

सजूगर

अचार भरी उँगलियाँ चाटता हुआ

मैं टाट पर थोड़े हूँ पगली

झूलती खाट में

सो रहा हूँ तेरे पास

इतना पास

कि तेरा पेट गुड़गुड़ाया

तो मैंने सोचा मेरा है

भोर तक यहीं हूँ पगली

तू साँस छोड़ेगी

तो भींज उठेंगी मेरी कोंपलें

मेरी खुरदरी उँगलियाँ

नींद की रोई तेरी आँखों पर

काँप-काँप जाएँगी

और तू

झपकी भर नहीं जगेगी रात में

मैं जा रहा हूँ पगली

तेरे खुलने से पहले

उजास में घुल रही है मेरी आँख

छूना मटका तो मान लेना

मैं आया था

घोर अँधेरे तपते तीर की तरह आया था

रात भर प्यासा रहा।

स्रोत :
  • पुस्तक : उर्वर प्रदेश (पृष्ठ 114)
  • संपादक : अन्विता अब्बी
  • रचनाकार : तेजी ग्रोवर
  • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
  • संस्करण : 2010

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