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दो बिछड़े हुए दोस्त

do bichhDe hue dost

प्रकाश मनु

प्रकाश मनु

दो बिछड़े हुए दोस्त

प्रकाश मनु

बरसों बाद

मैं आज फिर तुमसे मिलने आया हूँ

समुद्र

पुरानी पहचानें ताज़ा करने के लिए

और तुम्हारे शीतल स्पर्श और पुरानी यादों के प्रवाह

में बहने और बहते जाने के लिए

समुद्र मैं तुम्हारी विराटता से

भेंटने आया हूँ

तुम्हारी विराट आभा और मर्यादा से अभिभूत

तुममें और तुम्हारे भीतर-बाहर छिपीं कहानियों

के साथ-साथ बहता

टहल रहा हूँ कब से

तुम्हारे तट की सुकून-भरी ठंडी रेती में...

मुझ जिज्ञासु के लिए

खोलो

खोलो अपने हृदय द्वार

विराट,

और भेंटो मुझसे अपनी हज़ारों-हज़ार बाँहें खोलकर

और बतियाओ मुझसे कुछ इस तरह

जैसे दो पुराने, बड़े पुराने दोस्त मिलते हैं

मिलते हैं और पुरानी यादों में मुब्तिला हो जाते हैं

दीवानों-सरीखे

लेकिन बुरा मानना दोस्त

यह समंदर से समंदर की मुलाक़ात है

मेरे प्यारे समंदर,

मैं आया हूँ तुमसे भेंटने

कुछ माँगने नहीं

आओ और मिलो मुझसे

जैसे दो पुराने बिछुड़े हुए दोस्त मिलते हैं।

स्रोत :
  • रचनाकार : प्रकाश मनु
  • प्रकाशन : वनमाली कथा,अप्रैल-2024

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